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लगी तेल में आग

हिन्द संबाद आसनसोल इम्तियाज़ खान : 2021 बिधान सभा चुनाव हो गई 2 मई को परीणाम भी आ गई पांचो राज्यों में चुनी हुई सरकार सपथ भी ले ली सरकार के मंत्री गण अपने अपने कामो में लग गए।पर जिस तरह से तेल की दाम में बढ़ौतरी हो रही है उससे आम जनता त्रस्त है दाम बरोधत्री के वजह कुछ भी हो पर जनता की आमदनी पर तो ब्रेक लगी हुई महंगाई ऐसे में सरकार को सोचना है की आमदनी नहीं है तो महंगाई पर काबू पाया जाय लेकिन सरकार दलील देती है की अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की दाम बढ़ रही है इस वजह से तेल की दाम को बढ़ाया जा रहा है। अभी देश महा मुश्किल के घडी से गुज़र रहा है चाहे वो कोरोना महामारी हो या कुछ भी हो संकट तो संकट है इसके लिए सरकार को ही कुछ सोचना है और सरकार की जिम्म्मेवारी भी है की संकट के इस बेला में सरकार को जनता के लिए तत्कालीन या फिर दीर्घकालीन योजना तैयार करना चाहिए मगर ऐसा नहीं हो रहा सवाल यह उठता है की जिस समय लोगो के आय में कमी हो रही है बहुत सारे लोगो के पास रोजी रोटी की सम्मस्या है बहुत सारे संकटो से लोग झूझ रहे है तब तेल के दामों में बढ़ौतरी का क्या मतलब इस पर सरकार की दलील है की अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की दामों पर निर्भर है। लेकिन पहले तो सरकार तेल कंपनियों को दाम में नियंत्रण रखने की सलाह दे क्यों की सरकार पिछले दो तीन महीनो तक तेल कंपनियों को हिदायत दी थी की चुनावो के वक़्त तेल के दाम न बढ़ाया जाय और सरकार के सलाह को तेल कंपनियों ने खूब माना और उस दौरान तेल के दाम स्थिर रही गौरतलब यह है की जब पांच राज्यों में चुनाव थे तब दाम नहीं बढ़े और अब संकट के दौर पर क्यों नहीं सरकार तेल कंपनियों को सलाह देती है की इस कोरोना काल में तेल के दामों पर नियंत्रण रखे क्या तेल कम्पनिया सरकार की बातो को नहीं मानती अभी कुछ दिन पहले बढ़ौतरी में पेट्रोल देश के कई हिस्सों में 100 रु पर कर गए और डीज़ल 90 रु पार बस करो यार इसके प्रभाव देश के हर तबके को ही पड़ने वाला है। डीज़ल के दाम बढ़ने से किराना में भी बढ़ौतरी होगी ज़ाहिर है की बाजार में मॉल धुलाई पर अशर तो पड़ना ही है और इस वजह से सामान महंगे होंगे ये तो सीधा सा हिसाब है इसके बावजूद तेल कंपनियों को कोई फर्क नहीं पड़ता सरकार को वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए पेट्रोल डीज़ल के दामों पर नियंत्रण रखना चाहिए इस कोरोना काल में बेराज़गारी लोकडाउन गरीबी के साथ साथ अनेक सम्मस्या है जो सरकार को ही इसका हल निकलना है अभी लोग अपने वयक्तिगत पूंजी जमापूंजी के सहारे बाजार को ज्यादा दिनों तक नहीं टिका सकते सरकार के सामने यह बड़ा काम है की लोकडाउन और लोगो के रोज़गार के बिच संतुलन कैसे कायम करे यह ध्यान में रखने की जरूरत है की समूचे देश की अर्थ व्यबश्था को सही कैसे किया जाय पूरी दुनिया की अर्थब्यवश्था पेट्रोल डीज़ल के दामों के ही इर्द गिर्द घूमती रहती ह। तेल के दामों में आग लगी हुई है चाहे ईंधन की तेल हो या फिर खाद्यान तेल।

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