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रेलवे ने दफ़न कर दिया डेढ़ सौ साल पुराना कब्रिस्तान

 

कब्रिस्तान के क़ब्र का एक – एक ईंट लूट कर ले गये चोर

सरकारी सिस्टम की बदहाली बयां कर रही है कब्रिस्तान मे फैली दूर -दूर तक जंगल – झाड़

एक इतिहासिक कब्रिस्तान की बदकिस्मती की कहानी

आसनसोल, पश्चिम बंगाल का आसनसोल इलाका वह इलाका जो अपने आप मे कई रहास्यों को समेटे बैठा है, उन्ही रहस्यों मे से एक ऐसा रहस्य आज सामने आया है, जिस रहस्य ने पश्चिम बर्दवान जिला ही नही बल्कि राज्य की सरकारी सिस्टम के रख रखाव पर कई सवाल खड़ा कर चूका है, जी हाँ हम बात कर रहे हैं, आसनसोल बूदा स्थित करीब डेढ़ सौ साल से ज्यादा पुराने रोमन कैथलीक ईसाई कब्रिस्तान की जो इन दिनों अपनी बदहाली की गाथा गा रहा है, कब्रिस्तान कितनी जमीन पर फैली है हालांकि की इसकी सटीक जानकारी किसी के पास नही है, पर स्थानीय लोग यही कहते हैं, की उन्होंने बचपन से कब्रिस्तान मे कुछ इसी तरह जंगल और झाड़ देखते आये हैं, उन्होने अपने जीवन मे कभी भी किसी को इस कब्रिस्तान मे दफनाते हुये नही देखा है, पर उन्होंने अपने पूर्वजों से यह जरूर सुना है, की इस जगह पर आसनसोल का सबसे पुराना और इतिहासिक रोमन कैथलीक ईसाई कब्रिस्तान था, जिस कब्रिस्तान मे अंग्रेजों का शव दफ़न किया जाता था, जिसके बाद दिन बीते महीने बीते साल बिता और ख़त्म हो गया डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा पुराना रोमन कैथलीक ईसाई कब्रिस्तान का अस्तित्व, स्थानीय लोग कहते हैं की उन्होंने अपने पूर्वजों से हमेशा सुना है की कब्रिस्तान मे शव दफ़न होते हैं, वहाँ लोगों को मरने के बाद मुक्ति मिल जाती है, पर उन्होंने अपने जीवन मे इस इतिहासिक कब्रिस्तान को ही दफ़न होते देखा है, उन्होंने कहा की रेलवे ने एक बोर्ड लगाया है, की कब्रिस्तान का पूरा जमीन उनकी प्रॉपर्टी है, रेलवे की यह बोर्ड कब लगी यह उन्होने कभी नही देखा पर उन्होने कहा की महीने दो महीने मे रेलवे के कुछ अधिकारी इस जमीन की समिक्षा करने जरूर आते हैं, की उनकी जमीन ठीक -ठाक है या फिर नही वहीं कुछ पुराने लोग यह भी बताते हैं की कब्रिस्तान के सामने कई दुकान और कुछ राजनितिक दलों के पार्टी कार्यालय खोल दिये गये हैं, यहीं नही उनका यह भी कहना है की कुछ लोगों ने तो कब्रिस्तान के जमीन पर ही अपने घर बना लिये हैं, यहाँ तक के कब्रिस्तान मे स्थित क़ब्र मे लगे एक – एक ईंट भी चोर- चोरी कर के ले गये हैं, यूँ कहें तो चोरों ने पुरे कब्रिस्तान को एक मैदान बना दिया, जो मैदान अब एक घंगोर जंगल मे तब्दील हो गया है, जिसमे अगर कोई प्रवेश कर जाये तो वह अपना रास्ता भूल जाये, वहीं आसनसोल के कुछ ईसाई संगठन इस इतिहासिक रोमन कैथलीक ईसाई कब्रिस्तान को बचाने व उसको पूर्ण स्थापित करवाने की मांग कर रहे हैं, वह इस लिये की विदेशों से आकर इस कब्रिस्तान को ढूंढने वालों को निराशा हाँथ ना लगे और ना ही उनको कोई परेशानी हो वह अपने देश मे जाकर यह बोलें की उनके पूर्वजों की समाधी स्थल को आज भी हिंदुस्तान मे सुरक्षित रखा गया है, वो भी काफी संभाल के, जिसको लेकर उन्होने रेलवे व जिला प्रशासन से लेकर राज्य और केंद्र सरकार को भी एक लिखित आवेदन दिया है, पर ईसाई समुदाय का यह इतिहासिक धरोहर क्या भविष्य मे बच पायेगा क्या इस धरोहर को हमारे देश के साथ – साथ विदेशी नागरिक इसे दोबारा देख पाएंगे, कहीं ऐसा तो नही की इस इतिहासिक कब्रिस्तान का अस्तित्व बस इतिहास के पन्नों मे ही हमारे आने वाले जेनरेशन देख और पढ़ पाएंगे फिलहाल इस मामले पर कुछ भी कहना सायद जल्दबाजी होगा, पर इस कब्रिस्तान की पुरानी रौनक फिर से वापस दिलाने की जंग आसनसोल के ईसाई समुदाय ने जरूर छेड़ दिया है,

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