नयी दिल्ली: नए कृषि कानून पर पुरे देश में बहस छिड़ी हुई है की ये कानून किसके हित में है देश के किशानो के या फिर पूंजीपतियों के लिया बनाया गया ये कानून देश में जबरदस्त किसान आंदोलन चल रहा है और इस दौरान जाने माने किसान नेता व उनके हितैषी शरद जोशी का नाम नहीं होने के कारण उनकी कमी बहुत खल रही है। वे आज इस दुनिया में नहीं है। एक समय वह भी था जब वे देश में छाए हुए थे। याद दिला दे कि शरद अनंत राव जोशी ने सासंद राजू शेट्टी के साथ मिलकर किसान के हित की चिंता में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन की स्थापना की थी। वे जाने माने अर्थशास्त्री व नेता थे। उन्होंने स्वतंत्र भारत पक्ष नाम से पार्टी बनायी थी व शिवसेना व भाजपा के सहयोग से राज्य सभा में गए। हालांकि वे 1991 विधानसभा का चुनाव हार गए थे।किशानो के हित की बात करना और जब तक राज्य सभा का प्रतिनिधित्वा किया किशानो की आवाज़ पुरे डैम ख़म से उठाई इस लिए सासंद राजू शेट्टी के साथ मिलकर किसान के हित की चिंता में एक नै पार्टी बना डाली और उसी पार्टी के बैनर तले किशन आंदोलन को उस ववक्तएक नै दिशा दी एअसे तो किशन नेता के तौर पर महेंद्र सिंह तिक्केट का काम अगरिये श्रेणी में हमेशा रहा आजादी के बाद भारत की किसान राजनीति के वे सबसे बड़े चौधरी थे। वैसे तो आजादी के पहले 1917 के बाद कई किसान आंदोलन हुए और महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल से लेकर स्वामी सहजानंद और प्रो. एनजी रंगा जैसे दिग्गज भी उससे जुड़े रहे। आजादी के बाद तमाम इलाकों में किसान संगठन बने और किसानों के कई बड़े नेता उभरे। समय के साथ वे बदल गए, उनका रंग ढंग औऱ तेवर बदल गया। लेकिन चौधरी टिकैत उन सबसे अलग और सबसे बड़े किसान नेता के तौर पर भारत के किसानों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रहे। जो दिल में आया वह कहा और किया। इसमें किसी हानि लाभ की परवाह नहीं की।आजादी के बाद भारत की किसान राजनीति के वे सबसे बड़े चौधरी थे किसान के लिए ताल ठोकने वाले नेता कहलाते रहे और आज भी उनका ही नाम आगे आता है किशानो की बात होती है तब शरद अनंत राव जोशी ने सासंद राजू शेट्टी को अपने साथ मिला कर महाराष्ट्र में किशन आंदोलन को नयाआयाम दिया लईकिन आज जब सरकार नयी कृषि कानून लेकर आई तो पछ बिपाच ने बहस का एक बिषय बना लिए और बाद बिवाद में उलझते जा रहे है एक दूसरे पर कृषि कानूनों पर किसानों केलिए किस तरह आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है इसी क्रम में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा नीत सरकार के शब्दों पर ‘विश्वास नहीं है’ जबकि केंद्र ने वादा किया है कि कृषि कानूनों पर किसानों से बातचीत जारी रहेगी। येचुरी ने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को दिए गए उस बयान के संदर्भ में की जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार किसानों से सभी मुद्दों पर खुले मन से चर्चा करने को तैयार है।येचुरी ने कहा, ‘‘मोदी सरकार के किसानों के साथ चर्चा करने को लेकर दिए जा रहे भरोसे पर ‘विश्वास नहीं है’ क्योंकि इन संबंधित विधेयकों को बिना चर्चा पारित कराया गया था और सदन में मतदान रोका गया था। वे जो भी कहते हैं उसपर भरोसा नहीं है। प्रधानमंत्री ने आज दावा किया कि कुछ पैसे जारी किए गए हैं लेकिन यह चुनाव पूर्व योजना का हिस्सा है।वही कोलकाता से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में पीएम-किसान सम्मान निधि योजना लागू नहीं किए जाने को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आधे सच और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसानों के मुद्दों को सुलझाने के लिये सक्रिय रूप से काम करने के बजाय अपने टीवी संबोधन के जरिये उनके प्रति चिंता व्यक्त करते हैं। उन्होंने एक बयान में कहा, वह (प्रधानमंत्री) पीएम-किसान योजाना के जरिये पश्चिम बंगाल के किसानों की मदद की अपनी मंशा सार्वजनिक रूप से जाहिर करते हुए राज्य सरकार पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि वह आधे सच और तोड़-मरोड़ कर पेश किये गए तथ्यों के आधार पर लोगों को गुमराह करने के प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को अपने टीवी संबोधन के दौरान बनर्जी पर राज्य को बर्बाद करने और प्रदेश के 70 लाख से अधिक किसानों को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के लाभ से वंचित रखने का आरोप लगाया। इस योजना के तहत प्रत्येक किसान को प्रतिवर्ष 6000 रुपये दिये जाते हैं। मोदी के आरोप पर पलटवार करते हुए बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के हित में सहयोग के लिये हमेशा तैयार रही है। बनर्जी ने कहा कि उन्होंने केन्द्रीय कृषि मंत्री को दो बार पत्र लिखा और दो दिन पहले उनसे बात भी की। मुख्यमंत्री ने कहा, वे सहयोग करने के बजाय राजनीतिक लाभ उठाने के लिये दुष्प्रचार कर रहे हैं। बनर्जी ने सोमवार को केन्द्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिखकर एक बार फिर अनुरोध किया था कि पीएम-किसान कोष को पश्चिम बंगाल सरकार के जरिये किसानों तक पहुंचाया जाए। इससे पहले उन्होंने सितंबर में भी इस प्रस्ताव के संबंध में कृषि मंत्री को पत्र लिखा था।रामपुर(उप्र)से भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को कहा कि मोदी सरकार किसानों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है और पार्टी की सरकार में कृषि क्षेत्र में कोई कमीशन, कटौती और भ्रष्टाचार नहीं है। किसानों को संबोधित करते हुए नकवी ने कहा कि गांवों, किसानों और गरीब लोगों का सशक्तिकरण मोदी सरकार की प्राथमिकता है। नकवी का संबोधन किसानों पर पहुंच बनाने की भाजपा की राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा था।नकवी ने यह संबोधन ऐसे दिन दिया जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौ करोड़ से अधिक किसानों को 18,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए और उन्हें संबोधित किया। नकवी ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल, जिन्हें लोगों ने पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है, सरकार द्वारा लाए गए ऐतिहासिक कृषि सुधार कानूनों को पचा नहीं पा रहे हैं और किसानों में भय पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।कांग्रेस के तरफ से भी बयान बजी हुई जयपुर से राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने शुक्रवार को केंद्र पर आरोप लगाया कि उसने किसान संगठनों के साथ चर्चा किए बगैर नये कृषि कानून लागू कर दिए। साथ उन्होंने, नरेंद्र मोदी सरकार से झूठ-फरेब की राजनीति छोड़कर किसानों की बात सुनने की अपील की। पायलट ने दौसा में पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘ राज्य सरकारों व किसान संगठनों से बिना कोई चर्चा किए केंद्र सरकार ने जो तीन कृषि विरोधी कानून पारित किए हैं, उसे लेकर अब भाजपा लोगों को साधने की कोशिश कर रही है। केंद्र सरकार को ये पाखंड और झूठ-फरेब की राजनीति बंद कर किसानों की बात सुननी चाहिए।’’उन्होंने कहा,’ ‘केंद्र सरकार ने किसानों की अनदेखी करते हुए जो तीन आत्मघाती कृषि कानून पारित किए हैं, आज उस चुनौती का सामना पूरा देश व समाज कर रहा है। मैं चाहता हूं कि देश के तमाम लोग इन कानूनों के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करें।’’ उन्होंने कहा कि संसद में इन तीनों कानूनों को अलोकतांत्रिक तरीके से पारित कराया गया था और ये कानून किसानों के हितों की रक्षा करने में नाकाम रहेंगे। पायलट ने कहा, ‘‘चंद पूंजीपतियों को पूरे देश की संपत्ति देने की योजना केंद्र सरकार की है और उसके खिलाफ हम सब साथ खड़े हुए हैं।
पर कोई भी राजनैयिक पार्टी हो सभी में आज गाँधी वादीऔर आंबेडकर वादी की भरमार है कांग्रेसी तोआपने को गाँधी वाढ और अम्बेडकरवाद के उत्तराधिकारी मानते है भाजपा वाले भी गाँधी वाढ और अम्बेडकरवाद के सिधान्तो को ही मानकर चलने का भरोसा दिलाते हैगांघी जी तो किशन ग्रामीण भारत के ही बात करते थे और बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर भी आम्बेडकर विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री लेने वाले पहले भारतीय थे। उन्होंने तर्क दिया कि औद्योगिकीकरण और कृषि विकास से भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो सकती है । उन्होंने भारत में प्राथमिक उद्योग के रूप में कृषि में निवेश पर बल दिया। शरद पवार के अनुसार, आम्बेडकर के दर्शन ने सरकार को अपने खाद्य सुरक्षा लक्ष्य हासिल करने में मदद की। आम्बेडकर ने राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास की वकालत की, शिक्षा, सार्वजनिक स्वच्छता, समुदाय स्वास्थ्य, आवासीय सुविधाओं को बुनियादी सुविधाओं के रूप में जोर दिया।उन्होंने ब्रिटिश शासन की वजह से हुए विकास के नुकसान की गणना की पर आज बापू एवं बाबा साहेब के बात तो सब करते है पर उनके दर्शन से काम करने को कतराते है आखिर क्यों ?
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कृषि कानूनों पर किसानों केलिए किस तरह आरोप प्रत्यारोप और पछ बिपच्छ का पलटवार
- HIND SAMBAD
- December 26, 2020
- 3:34 pm