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उर्दू हिंदी साहित्य के ज़ौक़ी दम्पति का कोरोना के कारण मौत मैं इतनी बुरी दुनिया की :मुशर्रफ आलम जौकी कल्पना नहीं कर सकता :

उर्दू व हिंदी साहित्य का जाना-पहचाना नाम मुशर्रफ आलम जौकी अब इस दुनिया में नहीं हैं. जिस कोरोना को लेकर उन्होंने शक जाहिर किया था, उसी ने उनकी जान ले -उर्दू -हिंदी -राइटर -मुशर्रफ -आलम -जॉकी का निधन कोरोना से हो गया
19 -04 – 2021को एक सख्शियत की मौत और दो दिन बाद उनकी धर्म पत्नी तब्बसुम फातिमा का देहांत हो जाना वो भी उर्दू साहित्य के मशहूर लेखिका थी दो दिनों में दोनों मिया बीबी का इस कदर दुनिया को अलबिदा कह देना साहित्य जगत की एक अपूर्णीय नुकशान है जॉकी साहब ने ही लिखा था की मैं इतनी बुरी दुनिया की कल्पना नहीं कर सकता. क्या वास्तव में वायरस थे ? या फिर महाशक्तियों ने दुनिया को मूर्ख बनाना शुरू कर दिया? अब मुझे एहसास हो रहा 19 मुशर्रफ आलम जौकी साहित्य जगत में अपनी एक खास शैली के लेखन के लिए जाने जाते थे. अपने उपरोक्त लेख में ही उन्होंने दुनिया की बढ़ती संवेदनहीनता का उल्लेख किया . मुशर्रफ आलम जौकी साहित्य जगत में अपनी एक खास शैली के लेखन के लिए जाने जाते थे. अपने उपरोक्त लेख में ही उन्होंने दुनिया की बढ़ती संवेदनहीनता का उल्लेख ..
संघर्षशीलता की कथा लिखते हुए उसे ‘इंसान के लिए, जो हमेशा से विजेता रहा है’ पंक्तियां लिखकर समर्पित किया था.

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