Share on facebook
Share on twitter
Share on whatsapp
Share on email

तिलका मांझी आदिवासी प्राथमिक विद्यालय को राज्य का पहला स्कूल बनाकर एक मिसाल

हिन्द संबाद आसनसोल जमुरिया संबाददाता : कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए उन्होंने कई योजनाएँ अपनाईं, जिनमें से एक थी घर-घर जाकर माताओं, विशेषकर आदिवासी माताओं को कोरोना टीकाकरण की आवश्यकता के बारे में जागरूक करना साथ ही मास्क, सैनिटाइजर, हैंड वॉश और सामाजिक दूरी के महत्व पर जोर देते हैं। कुपोषण से पीड़ित बच्चों को पौष्टिक आहार देकर उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है । इस बार उन्होंने एक बड़ी पहल की है। सिर्फ जागरूकता ही नहीं, वैक्सीन रथ के उद्घाटन के माध्यम से कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए पश्चिम बर्दवान के दूरदराज के आदिवासी गांवों को सुरक्षित गांव बनाकर हर मां का टीकाकरण सुनिश्चित करने का एक शानदार प्रयास किया है । संरक्षित क्षेत्र में उनका टीका रथ और पायलट प्रोजेक्ट जबा मालती पारा, उपर जाबा, बौरी पारा, मोर पारा, कंथल पारा, स्कूल पारा सहित आसपास के आदिवासी क्षेत्रों में शुरू हुआ। मगर सवाल यह है कि कोरोना रथ आखिर है क्या ? संरक्षित क्षेत्र से उसका क्या तात्पर्य है? यह पूछे जाने पर कि उनके दिमाग में ऐसा असाधारण विचार क्यों आया? तो इस अभियान के कर्णधार और रास्ते के मास्टर नाम से विख्यात तिलका माझि आदिवासी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक दीप नारायण नाएक ने कहा कि .जब चक्रवाती तुफान यश के कारण आदिवासीयो के घरो को नुकसान पहुंचा तो उन लोगों की मदद करने के लिए घरों का दौरा कीया जिनके घर विशेष रूप से तूफान यश से क्षतिग्रस्त हो गए थे । उन्हें पता चला कि गांव में लगभग किसी भी मां को टीका नहीं लगाया गया है । वैक्सीन न मिलने की वजह और भी हैरान करने वाली थी. मृत्यु के भय से मूलनिवासी माताओं थुरकी मुर्मू और संताशी कोरा का टीकाकरण नहीं हुआ। लेकिन समस्या तब पैदा हुयी जब माताएं टीका लगवाने को राजी हुयीं लेकिन वैक्सीन कहां है? .इसके बाद उन्होंने उन सभी आदिवासी गांवों का टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए अपनी जानकारी को समृद्ध किया, जिनका उन्होंने सर्वेक्षण किया और गर्भवती,प्रसुति और प्राथमिक विद्यालय मे पाठरत माताओं के टीकाकरण की व्यवस्था करने के लिए को-विन ऐप पर माताओं को पंजीकृत किया । यह रिपोर्ट अखलपुर ब्लाक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य अधिकारी को सौंपी गई .बाद में अधिकारी ने उनके कार्य पर संतोष व्यक्त करते हुए उनके महत्व को प्राथमिकता देते हुए 20 जुलाई को माताओं के टीकाकरण का दिन निर्धारित किया, फिर बड़ी समस्या आई। इस कोरोना की स्थिति में इन आदिवासियों के लिए एक रुपये की कीमत एक लाख रुपये के बराबर है तो यह लोग स्वास्थ्य केंद्र तक जाएंगे कैसे? इस ज्वलंत समस्या को दूर करने के लिए, स्ट्रीट मास्टर का यह टीका रथ, ताकि सभी माताएं सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में मुफ्त में जाकर टीका प्राप्त कर वापस गांव आ सकें । उन्होंने कहा कि यह टीका जिले के दूर-दराज के गांवों की सभी माताओं का टीकाकरण सुनिश्चित करेगा ताकि कोरोना की तीसरी लहर को रोका जा सके और अगर गांव की सभी माताओं को टीका लगाया जाता है तो गांव को एक सुरक्षित गांव माना जाएगा । उन्होंने अविनाश बेसरा, नर्स बिशाखा गोराई और फार्मासिस्ट उत्तम कुमार मेटाक को धन्यवाद दिया। अधिकारी चिकित्सक कई लोगों ने उनके काम की तारीफ की। मां किरानी मेझन और सूरजमणि सोरेन ने वैक्सीन लगने पर खुशी व्यक्त की और सभी आदिवासी महिलाओं से डर को दुर करने और टीका लगवाने का आग्रह किया । इस तरह रास्ते के मास्टर ने पश्चिम बर्दवान जिले के जाबा आदिवासी क्षेत्र को पहला संरक्षित गांव और तिलका मांझी आदिवासी प्राथमिक विद्यालय को राज्य का पहला स्कूल बनाकर एक मिसाल कायम की
जन हित में जारी हिन्द संबाद




जन हित में जारी हिन्द संबाद

Latest News