हिन्द सम्बाद : नवरात्रि पर्व शक्ति की प्रतीक देवी दुर्गा की उपासना का पर्व है। नौ दिनों तक मनाये जाने वाले इस पर्व के दौरान प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के नौ भिन्न रूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ही हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है। इस प्रकार हिंदू पंचांग के अनुसार 13 अप्रैल 2021 से विक्रम संवत 2078 का शुभारम्भ भी हो चुका है। वैसे तो हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि की पूरे देशभर में धूम देखने को मिलती है लेकिन पिछले साल से कोरोना वायरस ने जिस प्रकार कहर ढाया हुआ है उसके चलते लगी पाबंदियों के कारण मंदिर सूने नजर आ रहे हैं। लोगों को कोरोना प्रोटोकाल्स का पालन करते हुए ही त्योहार मनाने पड़ रहे हैं। जहाँ तक इस साल के नवरात्रि पर्व की बात है तो यह 13 अप्रैल से शुरू होकर 21 अप्रैल 2021 तक चलेगा। इस बार घटस्थापना का मुहूर्त सुबह 5.58 से लेकर 10.14 तक है और उसके बाद घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त 11.56 बजे से लेकर 12.47 बजे तक है। कलश/माता की चौकी या घट को स्थापित करने में जिन वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है उनमें गंगाजल, रोली, मौली, पान, सुपारी, धूपबत्ती, घी का दीपक, फल, फूल की माला, बिल्वपत्र, चावल, केले का खम्भा, चंदन, घट, नारियल, आम के पत्ते, हल्दी की गांठ, पंचरत्न, लाल वस्त्र, चावल से भरा पात्र, जौ, बताशा, सुगन्धित तेल, सिंदूर, कपूर, पंच सुगन्ध, नैवेद्य, पंचामृत, दूध, दही, मधु, चीनी, गाय का गोबर, दुर्गा जी की मूर्ति, कुमारी पूजन के लिए वस्त्र, आभूषण तथा श्रृंगार सामग्री आदि प्रमुख हैं।
नवरात्रि में माँ दुर्गा के जिन नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, वह इस प्रकार हैं-
श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी ,श्री चंद्रघंटा ,श्री कूष्मांडा,श्री स्कंदमाता ,श्री कात्यायनी ,श्री कालरात्रि ,श्री महागौरी,श्री सिद्धिदात्री
नवरात्रि कथा
— पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वरदान दे दिया। उसको वरदान देने के बाद देवताओं को चिंता हुई कि वह अब अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करेगा। महिषासुर ने नरक का विस्तार स्वर्ग के द्वार तक कर दिया और उसके इस कृत्य को देख देवता परेशान हो उठे। महिषासुर ने सूर्य, इन्द्र, अग्नि, वायु, चन्द्रमा, यम, वरुण और अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए और स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ा तब महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की। देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गई थीं। नौ दिनों तक देवी और महिषासुर के बीच भीषण संग्राम हुआ और आखिरकार मां दुर्गा महिषासुर का वध करने में सफल रहीं और महिषासुर मर्दिनी कहलायीं।
Share on facebook
Share on twitter
Share on whatsapp
Share on email
नवरात्रि पर्व शक्ति की प्रतीक देवी दुर्गा की उपासना का पर्व है लेकिन कोरोना वायरस ने जिस प्रकार कहर ढाया कारण मंदिर सूने है
- HIND SAMBAD
- April 15, 2021
- 4:01 pm