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मंत्रालय तो गया अब देखना है की सांसद के तौर पर कितना कारगर होते है :बाबुल

हिन्द संबाद आसनसोल इम्तियाज़ खान : हिन्द संबाद ग्रुप समाचार पत्र पोर्टल और भी ग्रुप के समाचार माध्यमों के तरफ से कोरोना वायरस से भारत की लड़ाई में हम पूर्ण रूप से सहभागी हैं तीशरी लहर आने से पहले ही लोगो को सचेत रहना पड़ेगा । इस कठिन समय में अपनी जिम्मेदारी का पूर्णतः पालन करते हुए हमारा हर संभव प्रयास है कि तथ्यों पर आधारित खबरें ही प्रकाशित हों। हम स्व-अनुशासन में भी हैं और सरकार की ओर से जारी सभी नियमों का पालन भी हमारी पहली प्राथमिकता है। इसके साथ साथ कुछ अपनी भी जिम्मेवारी है कोरोना काल में लोग ऑक्सीज़न की कमी से झूझ रहे है ऐसे में जरूरी है प्राकृति के नियमो का पालन हो जो मानव धर्म से ही किया जा सकता है पर मानवता तो है ही नहीं। आज सिर्फ राजनीति का मतलब सत्ता का सुख भोगना पर राजनीती का मतलब जिंदगी के हर पहलुओ से होना चाहिए। जिंदगी के लिए चाहिए जल, ज़मीन ,जंगल पर इसे बचाने के बजाय इन चीजों को खत्म किया जा रहा है किसे फ़िक्र है जिस काम को करने से पृथ्वी बचे । पृथ्वी और मानवता के सामने उपस्थित संकटों के समाधान खोजना सुदर्शन, सजीला और नफासत से भरा व्यक्तित्व, मनुष्य जीवन के सामने उपस्थित चुनौतियों से व्यथित रहता राजनीति का मतलब इस पृथ्वी और मानवता के सामने उपस्थित संकटों के समाधान खोजना था। आज जब कोरोना के संकट से समूचा दुनिया सवालों से घिरी है, ऐसे में राजनीती में दो हस्ती आसनसोल में थे पर एक ने मौका गवा दिया आसनसोल को सवारने का पर्यावरण मंत्रालय मिला था इस उद्द्योगीक शहर, प्रदूषित शहर को पर्यावरण जैसे महत्व पूर्ण काम को अंजाम नहीं दे सके सायद इसी कारण माननीय प्रधान मंत्री ने बाबुल सुप्रियो से इस्तफ़ा माँगा होगा सात साल मंत्री रहते अपनी कोई छाप ( पहचान ) भी न छोड़ पाए आसनसोल में न ही समाज के किसी भी वर्ग में पैठ बना सके , दूरदर्शी प्रधान मंत्री ने सोचा होगा की काम नहीं करने वालो की कोई जगह नहीं है इसी कारण सायद बाबुल को इस्तीफा देने को कहा होगा पर्यावरण की जागरूकता के लिए भी बाबुल ने कुछ नहीं किया बस प्रधान मंत्री के नाम पर दो बार आसनसोल के जनता ने सिर्फ मोदी जी के नाम पर बाबुल को वोट दिया लेकिन प्रधान मंत्री के नाम पर जित तो गए मोदी जी ने मंत्रालय भी अच्छी अच्छी दी लेकिन बाबुल ने उनके दिए कामो का निर्वाहन नहीं किया और अंत में मंत्रालय से भी हाथ धोना पड़ा अब देखना है की बाबुल सांसद के तौर पर कितना कारगर होते है मंत्रालय मिलने के बाद वो आसनसोल में एक भी ऐसा काम हो जो किया जो उद्हारण के तौर पर गिनाया जाय भाजपा कार्यकर्ताओ से भी दुरी बनी हुई थी बाबुल की संगठन में भी कोई खुश नहीं था बाबुल से, बाबुल संगठन के लिए हरदम बबूल बने रहे बबूल भी जो पर्यावरण को हरयाली देती है पर बाबुल ने किसी भी काम को गंभीरता से नहीं लिया न ही आसनसोल में भाजपा कार्यकर्ताओ से सही तरिके से तालमेल बढ़ाया न ही आम लोगो का प्यार मिला बस मोदी जी के नाम पर सांसद बने और मलाय दार मंत्रालय का सुख भोगा सात साल यु ही देखते बीत गया समय की मांग समझ कर पर्यावरण पर गंभीरता से काम सांसद के रूप में भी कर सकते है पर क्या करेंगे वो तो वक़्त ही बताएगा ?
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री बबूल सुप्रियो के रूप में न पर्यावरण के लिए जागरूकता अभियान न सेमिनार न ही रैली न ही प्रचार प्रसार कुछ भी तो नहीं और वही दुशरी तरफ पश्चिम बंगाल में केबिनेट मंत्री मलय घटक जिन्हे कानून के साथ साथ पीडब्लूडी की महत्त्वपूर्ण जिम्मेवारी मिली है वो पर्यावरण के पार्टी जागरूकता अभियान चलाये जा रहे है जब भी आसनसोल में पौधारोपण का काम किया मलय घटक जो पीडब्लूडी विभाग के मंत्री है उस में भी वन बिभाग है जिसके द्वारा पीडब्लूडी के ज़मीनो पर वन पर्यावरण का काम किया जाना चाहिए तो राजनीति का मतलब इस पृथ्वी और मानवता के सामने उपस्थित संकटों के समाधान खोजा जा सकता है समस्या का समाधान किया जा सकता है आज मनुष्य जीवन के सामने उपस्थित चुनौतियों का सामना किया जा सकता है जिंदगी को प्रकृति से जोड़ने और उसके साथ सहजीवन कायम करने की कला को ही अशली जिंदगी कह सकते है पर्यावरण को समय की मांग समझ कर पर्यावरण पर गंभीरता से काम करना ही मानवता का परिचय है और जो आज ऑक्सीज़न की कमी है उसे इसी वन और पर्यावरण के जैरिये पूरा किया जा सकता जो एक प्राकृति श्रोत है इस बिषय को गंभीरता से लेने की जरूरत है वे है बचाव पृथ्वी और मानवता की जल, जीवन ,जंगल की सोचे समझे और काम करे। कोरोना की लड़ाई में पर्यावरण का सहारा लेना चाहिये जंगल ही पृथ्वी का अलंकार है कोरोना को हराने के लिए पर्यावरण को सवारे सजाये.



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