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किसान आंदोलन के दौरान किसानों में फूट नजर आई राष्ट्रीय जांच एजेंसी किसान आंदोलन में टेरर फंडिंग की जांच कर रही

हिन्द संबाद नई दिल्ली . किसान आंदोलन के दौरान पहली बार संयुक्त मोर्चा की बैठक में किसानों में फूट नजर आई। रविवार को मीटिंग में हरियाणा भाकियू के अध्यक्ष गुरनाम चढूनी पर आंदोलन को राजनीति का अड्डा बनाने, कांग्रेस समेत राज नेताओं को बुलाने और दिल्ली में सक्रिय हरियाणा के एक कांग्रेस नेता से आंदोलन के नाम पर करीब 10 करोड़ रुपए लेने के गंभीर आरोप लगे। आरोप था कि वह कांग्रेसी टिकट के बदले हरियाणा सरकार को गिराने की डील भी कर रहे हैं। चढू़नी ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। सयुंक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को कहा कि चढूनी की तरफ से बुलाई गई राजनीतिक दलों की बैठक से मोर्चे का कोई लेना-देना नहीं। राजनीतिक दलों के साथ चढूनी की गतिविधियों पर ध्यान देने के बाद रविवार को मोर्चे की मीटिंग में एक कमेटी बनाई गई जो 3 दिनों में रिपोर्ट देगी। बैठक की अध्यक्षता कर रहे किसान नेता शिव कुमार कक्का ने बताया कि बैठक में मोर्चे के सदस्य चढूनी को तुरंत निकालना चाहते थे। लेकिन आरोपों की जांच के लिए 5 सदस्यों की कमेटी बनाई गई जो 20 जनवरी को रिपोर्ट देगी। उसी आधार पर फैसला लिया जाएगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी किसान आंदोलन में टेरर फंडिंग की जांच कर रही है। आंदोलन से जुड़े 50 से ज्यादा लोगों को समन भेजे गए हैं। इससे खफा किसान संगठनों ने कहा कि उनसे जुड़ा कोई नेता या कार्यकर्ता राष्ट्रीय जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं होगा। कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी से इस्तीफा दे चुके भूपिंदर सिंह मान ने जिस तरह कमेटी छोड़ी, उनके इस्तीफे को लेकर धमकियां मिलने समेत कई कयास लगाए जाने लगे।
चढ़ूनी ने कहा कि शिव कुमार कक्का आरएसएस के एजेंटे हैं और वे नहींं चाहते कि कोई आगे निकले। चढ़ूनी ने यह भी कहा कि वे राजनेताओं को आंदोलन से दूर रखना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि घर बैठे नेता यदि अपनी तरह से सरकार पर दबाव बनाते हैं तो इसका फायदा आंदोलन को मिलेगा।

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