Share on facebook
Share on twitter
Share on whatsapp
Share on email

बंगाल 2021 विधानसभा चुनाव के सबसे बड़े खिलाड़ी थे मुकुल राय

मुकुल राय द्वारा खेले गए खेल से बंगाल में बनी ममता की तीसरी बार सरकार, वहीं ममता बनर्जी के तुरुंक का इका साबित हुये मंत्री मलय घटक , बंगाल की राजनीति में एक बार फिर शुरू हुआ दलबदलने का खेल, साँइथिया में भाजपा छोड़ 70 तृणमूल कर्मियों की हुई घर वापसी

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुई राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं का दल बदलने का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया है।उस समय तृणमूल से लोग भाजपा में शामिल हो रहे थे। यह सोंचकर के बंगाल में इस बार भाजपा की सरकार बनेगी।पर भाजपा की सरकार बनने से पहले ही बंगाल की राजनीति में खेला हो गया।और जनता ने एक बार दीदी को चुन लिया और दीदी ने तीसरी बार बंगाल में अपनी भारी बहुमत के साथ सरकार बना ली।दीदी की बंगाल में सरकार बनते ही।जो लोग चुनाव से पहले दीदी का सांथ छोड़ भाजपा का दामन थामे थे।अब वो भाजपा का दामन छोड़ तृणमूल में वापस आने के लिए लंबी कतारें लगाकर खड़े हैं।ऐसे में तृणमूल में किशको वापस लिया जाएगा।और किशको नही।इसपर पार्टी के आला नेताओं ने सारा दायित्व पार्टी सुप्रीमो मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के ऊपर छोड़ दिया है।वहीं ममता बैनर्जी ने दलबदलू नेताओं के लिए दो कटगरी बनाई है।एक कटगरी है।सॉफ्ट लाइनर तो दूसरी कटगरी है।हार्ड लाइनर।सॉफ्ट कटगरी में उन नेताओं को पार्टी जगह देगी जिन्होंने भाजपा में जाने के बाद कभी भी पार्टी के प्रति तीखी या फिर पार्टी विरोधी बयान नही दिए हैं।वहीं हार्ड लाइनर की अगर हम बात करें तो हार्ड लाइनर में उन नेताओं को शामिल किया जा रहा है।जिन्होंने चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी बयान दिए है।इसी तहत बीरभूम जिले के साँइथिया ग्राम पंचायत इलाके के करीब 70 भाजपा समर्थित परिवारों ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है।हम बताते चलें कि मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के नेतृत्व में अभिषेक बैनर्जी के हाँथों भाजपा नेता मुकुल राय और उनके बेटे सुभ्रांशु राय ने तृणमूल का दामन थाम लिया है।मुकुल राय ने 2017 में तृणमूल छोड़ भाजपा का दामन थामा था।और 2018 के बंगाल लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपनी अगुवाई में करीब 18 सीटों पर जीत दर्ज करवाई थी।भाजपा उसी जीत की खुशी में बंगाल 2021 विधानसभा चुनाव में मुकुल राय के ही भरोसे 200 पार सीटें लाने का दावा कर रही थी।जिन दावों को सफल बनाने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने बंगाल में अपनी छावनी बना ली थी।यहाँ तक के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,राजनाथ सिंह सहित भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बंगाल में तबातोड़ दौरे कर बंगाल की राजनीति में बदलाव के संकेत भी दे दिए थे।यही कारण था के तृणमूल का किला चुनाव से पहले ही ढहना शुरू हो चुका था।पर ममता ने हार नही मानी और चुनावी मैदान में भाजपा को मुहतोड़ जवाब देने के लिए।नए चेहरों को लेकर चुनावी मैदान में उतर गई।ममता के इस अंदाज को बंगाल की जनता ने समर्थन किया।जबकि भाजपा के द्वारा तैयार की गई तृणमूल के दलबदलू नेताओं की फौज भाजपा को ही भारी पड़ गई।बंगाल की जनता ने भाजपा को नकार दिया।बंगाल की राजनीति में जनता ने अपना सबसे बड़ा खेल कर दिया।और जनता द्वारा खेले गए इस खेल में ममता की बड़ी जीत हासिल हो गई।ऐसे में भाजपा नेता मुकुल राय को तृणमूल में वापस जाने के बाद अब भाजपा को यह लगने लगा है की मुकुल राय का हाँथ पकड़कर ही विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल के कई नेता और कार्यकर्ताओं ने भाजपा का दामन थामा था।और मुकुल के ही दिशा निर्देश पर उन दलबदलू नेताओं को भाजपा के तरफ से भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं का दिल दुखाकर उम्मीदवार बनाया गया था।जिसपर भाजपा नेता और कर्मी नाराज तो थे ही।बंगाल की जनता भी उन दलबदलू नेताओं को लेकर भाजपा से नाराज हो गई।और दीदी पर एक बार फिर भरोसा कर लिया।वो यह सोंचकर के इन दलबदलू नेताओं ने दीदी को तो बदनाम किया ही साथ मे पार्टी में रहकर बड़े-बड़े पोस्ट लेकर काफी लूट मचाया,भ्रस्टाचार कर भारी मात्रा में धन अर्जन किया।अब-जब उन्हें यह लगने लगा है।के अब बंगाल में भाजपा सरकार बनाएगी तो वो बचने के लिए तृणमूल छोड़ भाजपा में सामिल हो गए।यही कारण है जिसके बाद बंगाल की राजनीति में जो कुछ भी हुआ उसका अब तक किसी ने कभी कल्पना तक नही किया था।ममता ने बंगाल में तीसरी बार अपनी सरकार बना ली।और पार्टी के दलबदलू नेताओं को चिन्हित कर लिया। ऐसे में अगर दलबदलू नेता भाजपा छोड़ दोबारा तृणमूल में अगर आते भी हैं।तो उनको पार्टी में ऐसी कोई भी जगह नही दी जाएगी।जिससे वो कहीं भी किसी को नुकसान ना पहुंचा सकें।वो पार्टी में रहकर भी एक आम जनता की तरह अपना जीवन गुजारेंगे।वो कभी भी किसी पर भी पार्टी का धौंस नही दिखा पाएँगे। वहीं 2021के बंगाल बिधानसभा चुनाव में दीदी के सबसे भरोसेमंद सिपहसालार साबित हुये मंत्री मलय घटक । इस बार के चुनाव जब-जब दीदी को सहारे की जरुरत पड़ी मलय घटक एक मजबुत दीवार की तरह उनके साथ मजबूती से खड़े रहें । दीदी ने भी मंत्री मलय घटक पर भरोसा जताया और कई अहम जिमेंदारी दी जीस मलय घटक 100% खरे उतरे । इनके कुशल सांगठनिक क्षमता का ही नतिजा है की पार्टी उत्तर बंगाल , पुरुलिया एवं पक्षिम बर्दवान में मजबुत हुई और चुनाव ईन क्षेत्रों में पार्टी का उमीद से बेहतर रिजल्ट रहा। शिल्पांचाल में भी चुनाव के समय बहुत से टी एम सी नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया था पर चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद ईन दलबदलू नेताओं का राजनीतिक भविश्य अंधकारमय हो गया है अब ये सब टी एम सी में वापसी की जुगाड में लगे हुये हैं सूत्रों की माने तो शिल्पांचाल में मंत्री मलय घटक ही निर्णायक भूमिका में हैं अब यह देखना बहुत ही दिलचस्प होगा की कीस दलबदलू नेता के सिर पर मंत्री मलय घटक की छत्र छाया रहेगी और कौन मंत्री के छत्र छाया से बंचित रह जायेगा ।

Latest News