आज़ादी के इतिहास का नए संकल्पो का , आत्मनिर्भरता का , भारत को बिष्वगुरु बनाने का अपने संस्कृति को बचने का, राष्ट्रीय एकता कायम करने का , अनेकता में एकता का, पूर्वजो के धरोहर सँभालने का ,जो आज़ादी के लिए देश पर कुर्बान हो गए उनके बलिदानो का निचोड़ है आज़ादी का अमृत महोत्सव । आज़ादी का अमृत महोत्सव-नई पहचान नई शक्ति नव जागरण नई जोश नई उमंग आत्मनिर्भरता की पहचान
आजादी का सही अर्थ है स्वयं की पहचान, सुप्त शक्तियों का जागरण, आत्मनिर्भरता एवं वर्तमान क्षण में पुरुषार्थी जीवन जीने का अभ्यास।राष्ट्रीय एकता की पहचान जो अनेका में भी एकता है हमारे देश की ये ही संस्कृति है तहजीब भी है जो हमारे पूर्वजो से मिली है हमारे पूर्वजो ने आज़ादी की लड़ाई लड़ी और 15 अगस्त 1947 को भारत राष्ट्र को , ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र करने में जो जद्दोजहद किया वो इतिहास के पन्नो में स्वर्ण अछरो से दर्ज है लेकिन जो वर्ष आज़ादी के बाद बीते उनमे राष्ट्रीयता आत्मनिर्भरता नए भारत की नई नीव कहि भी तो नहीं दिखी सात दशक यु ही हर साल 15 अगस्त को आज़ादी का साल गिरह मनाते रहे और खुसिया मनाते गए अपने देश की आज़ादी का पर कोई ठोस अटनिर्भरता का कदम नहीं उठाया गया जिससे नवजवानो के भविष्व उज्वल हो सके , पड़ोसी चीन और पाकिस्तान बराबर गीदड़ भबकी करते रहे और युद्ध भी हुई दोनों तरफ से जवानो ने अपनी जाने भी गवाई लेकिन दोनों पड़ोसी बाज नहीं आते थे अपनी करतूतों से लेकिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सख्त कदमो से पाकिस्तान भी दुबका चीन भी समझ गया की अब भारत से बिना वजह उलझना अच्छा नहीं है और आज का भारत पहले वाला भारत नहीं है जो कभी भी भारतीय सीमा में घुश जाए और अपनी मनमानी करे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक सर्जिकल स्ट्राइक बहुत कुछ कह गया जिससे आने वाले दिनों में कोई भी पड़ोसी की हिम्मत नहीं होगी गलत निगाहे डालने की अब भारत आत्मनिर्भर हो रहा है पहले जिस संकीर्णता, स्वार्थ, राजनीतिक विसंगतियों, आर्थिक अपराधों, शोषण, भ्रष्टाचार एवं जटिल सरकारी प्रक्रियाओं ने अनंत संभावनाओं एवं आजादी के वास्तविक अर्थों को समझा नहीं गया आज़ादी के बाद पहले यही मक़सद था की सत्ता का सुख , स्वार्थ भरा राजनीतिक , विसंगतियों, आर्थिक अपराधों, शोषण, भ्रष्टाचार एवं जटिल सरकारी प्रक्रियाओं ने अनंत संभावनाओं एवं अपने परिवार को लाभ पहुंचना कुल मिलकर स्वार्थी हो जाना। इसलिये हम आत्मनिर्भर नहीं हो पाएं। लेकिन 2014 से नरेन्द्र मोदी समस्याओं के मूल को पकड़ने के लिये जद्दोजहद कर रहे है। और भारत को एक ससक्त राष्ट्र बनाने में कोई क्षार नहीं छोड़ रहे है इसी लिए देश के आज़ादी प्राप्ति के 75 वे साल को अमृत महोत्सव के रूप में मनाने का का एक दृढ संकल्प लिया और देश वासियो के लिए 75 सप्ताह तक चलने वाला ये महोत्सव एक जश्न के तरह है । 15 अगस्त 2023, 78वें स्वतंत्रता दिवस पर अमृत महोत्सव का जश्न मनाने का उत्साह भरा जो देशवासियो के लिए एक तोहफा है आज़ादी का 75 साल गिरह का । आजादी का अमृत महोत्सव भारत की विरल उपलब्धि है, हमारी जागती आंखों से देखे गये स्वप्नों को आकार देने का विश्वास है तो जीवन मूल्यों को सुरक्षित करने एवं नया भारत निर्मित करने की तीव्र तैयारी है। अब होने लगा है हमारी स्वतंत्र चेतना का अहसास। जिसमें आकार लेते वैयक्तिक, सामुदायिक, सामाजिक, राष्ट्रीय एवं वैश्विक अर्थ की सुनहरी छटाएं हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद बहुत कुछ बदला मगर चेहरा बदलकर भी दिल नहीं बदला।विदेशी सत्ता की बेड़िया टूटी पर बन्दीपन के संस्कार नहीं मिट पाये और राष्ट्रीयता प्रश्नचिन्ह बनकर आदर्शों की दीवारों पर टंग गयी थी, उसे अब आकार लेते हुए देखा जा रहा है। ।अब उन सब अवरोधक स्थितियों से बाहर निकलते हुए हम अपना रास्ता स्वयं खोजते हुए न केवल नये रास्तों बल्कि आत्मनिर्भर भारत, नये भारत एवं सशक्त भारत के रास्तों पर अग्रसर है। अब आया है उपलब्धिभरा वर्तमान हमारी पकड़ में। अब लिखी जा रही है कि भारत की जमीन पर आजादी की वास्तविक इबारत। एक संकल्प लाखों संकल्पों का उजाला बांट सकता है यदि दृढ़-संकल्प लेने का साहसिक प्रयत्न कोई शुरु करे। अंधेरों, अवरोधों एवं अक्षमताओं से संघर्ष करने की एक सार्थक मुहिम हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में 12 मार्च 2021 को शुरू हुई थी। 15 अगस्त 2023, 78वें स्वतंत्रता दिवस पर अमृत महोत्सव का समापन होगा। हम महसूस कर रहे हैं कि निराशाओं के बीच आशाओं के दीप जलने लगे हैं, यह शुभ संकेत हैं। एक नई सभ्यता और एक नई संस्कृति करवट ले रही है। नये राजनीतिक मूल्यों, नये विचारों, नये इंसानी रिश्तों, नये सामाजिक संगठनों, नये रीति-रिवाजों और नयी जिंदगी की हवायें लिए हुए आजाद मुल्क की एक ऐसी गाथा लिखी जा रही है, जिसमें राष्ट्रीय चरित्र बनने लगा है, राष्ट्र सशक्त होने लगा है, न केवल भीतरी परिवेश में बल्कि दुनिया की नजरों में भारत अपनी एक स्वतंत्र हस्ती और पहचान लेकर उपस्थित है।चीन की दादागिरी और पाकिस्तान की दकियानूसी हरकतों को मुंहतोड़ जबाव पहली बार मिला है। किसी भी राष्ट्र की ऊंचाई वहां की इमारतों की ऊंचाई से नहीं मापी जाती बल्कि वहां के राष्ट्रनायक के चरित्र से मापी जाती है। उनके काम करने के तरीके से मापी जाती है आजादी के 75वें वर्ष में पहुंचते हुए हम अब वास्तविक आजादी का स्वाद चखने लगे हैं, आतंकवाद, जातिवाद, क्षेत्रीयवाद, अलगाववाद की कालिमा धूल गयी है, धर्म, भाषा, वर्ग, वर्ण और दलीय स्वार्थो के राजनीतिक विवादों पर भी नियंत्रण हो रहा है। इन नवनिर्माण के पदचिन्हों को स्थापित करते हुए कभी हम प्रधानमंत्री के मुख से कोरोना महामारी जैसे संकटों को मात देने की बात सुनते है तो कभी गांधी जयन्ती के अवसर पर स्वयं झाडू लेकर स्वच्छता अभियान का शुभारंभ करते हुए मोदी को देखते हैं।।आजादी का यह उत्सव उन लोगों के लिए एक आह्वान है जो अकर्मण्य, आलसी, निठल्ले, हताश, सत्वहीन बनकर सिर्फ सफलता की ऊंचाइयों के सपने देखते हैं पर अपनी दुर्बलताओं को मिटाकर नयी जीवनशैली की शुरुआत का संकल्प नहीं स्वीकारते। इसीलिए आजादी के अमृत महोत्सव का यह जश्न एक संदेश है कि-हम जीवन से कभी पलायन न करें, जीवन को परिवर्तन दें, क्योंकि पलायन में मनुष्य के दामन पर बुज़्ादिली का धब्बा लगता है जबकि परिवर्तन में विकास की संभावनाएं सही दिशा और दर्शन खोज लेती है।आजादी का दर्शन कहता है-जो आदमी आत्मविश्वास एवं अभय से जुड़ता है वह अकेले ही अनूठे कीर्तिमान स्थापित करने का साहस करता है। समय से पहले समय के साथ जीने की तैयारी का दूसरा नाम है स्वतंत्रता का बोध। दुनिया का कोई सिकंदर नहीं होता, वक्त सिकंदर होता है इसलिए जरूरी है कि हम वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सीखें।15 अगस्त 1947 को भारत, ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हुआ था। आजादी के 75 साल का ये जश्न 12 मार्च 2021 से शुरू हो चुका है जो 75 सप्ताह तक चलेगा। 15 अगस्त 2023, 78 वें स्वतंत्रता दिवस पर अमृत महोत्सव का समापन होगा।
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आज़ादी का अमृत महोत्सव-नई पहचान नई शक्ति नव जागरण नई जोश नई उमंग आत्मनिर्भरता की पहचान
- HIND SAMBAD
- October 5, 2021
- 5:35 pm