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अब्बास सिद्दीकी ने अपनी नई पार्टी बना ली कहा, ‘किंगमेकर बनने की इच्छा है

हिन्द संबाद हुगली :पश्चिम बंगाल के मुस्लिमों के बीच बेहद खास प्रभाव रखने फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने बड़ा सियासी दांव खेला है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक तीन महीने पहले उन्होंने अपनी नई पार्टी बना ली है। अब्बास सिद्दीकी ने अपने नए दल को इंडियन सेक्युलर फ्रंट नाम दिया है। पार्टी की लॉन्चिंग के दौरान अब्बास सिद्दीकी ने कहा, ‘किंगमेकर बनने की इच्छा है, नया राजनीतिक संगठन इंडियन सेक्युलर फ्रंट पश्चिम बंगाल की सभी 294 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकता है।’पीरजादा अब्बास सिद्दीकी लंबे अरसे से मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी रहे हैं। हालांकि कुछ वक्त से सिद्दीकी ममता से नाराज चल रहे हैं और खुले रूप से तृणमूल कांग्रेस का विरोध करते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने चीफ असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद ओवैसी ने साफ किया था कि वह बंगाल में अब्बास सिद्दीकी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे।अपनी नई पार्टी बनाने के साथ अब्बास सिद्दीकी की नजर बंगाल चुनाव में मुस्लिम वोटरों पर होगी। 31 फीसदी वोट शेयर के साथ मुस्लिम वोटर यहां ‘किंगमेकर’ की भूमिका में रहते हैं। 2011 में ममता बनर्जी की धमाकेदार जीत के पीछे भी यही वोटबैंक था। राज्य की 294 सीटों में से 90 से ज्यादा सीटों पर इस वोटबैंक का सीधा प्रभाव है। फुरफुरा शरीफ दरगाह के चुनाव में उतरने से ममता के इस मजबूत वोट बैंक में सेंध लगने की पूरी संभावना है और ऐसा हुआ तो ममता का तीसरी बार भी पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का सपना अधूरा रह सकता है।बंगाल के हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ विख्यात दरगाह है। दक्षिण बंगाल में इस दरगाह का विशेष दखल है। लेफ्ट फ्रंट सरकार के दौरान इसी दरगाह की मदद से ममता ने सिंगूर और नंदीग्राम जैसे दो बड़े आंदोलन किए थे। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसी महीने की शुरुआत में फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि अब्बास सिद्दीकी का हमें समर्थन हासिल है और जो फैसला वह लेंगे, वही हमें मंजूर होगा।38 वर्षीय अब्बास सिद्दीकी एक समय ममता बनर्जी के मुखर समर्थक थे। मगर बीते कुछ महीनों से उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सिद्दीकी ने ममता सरकार पर मुस्लिमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। बंगाल की करीब 100 सीटों पर फुरफुरा शरीफ दरगाह का प्रभाव है। ऐसे में चुनाव से पहले दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का खुद की पार्टी बना लेना ममता के लिए सियासी रूप से फायदे का सौदा नहीं साबित होने वाला है।

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