Share on facebook
Share on twitter
Share on whatsapp
Share on email

आंदोलनकारी किसानों और सरकार के बीच 7 वें दौर की बातचीत विफल

हिन्द संबाद नई दिल्ली . आंदोलनकारी किसानों और सरकार के बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में चल रही 7वें दौर की बातचीत खत्म हो गई है. किसान नेता राकेश सिंह टिकैत ने कहा कि बैठक में केंद्र के तीनों कृषि कानूनों पर बातचीत हुई. MSP पर सरकार ने कहा है कि वह 8 जनवरी को बात करेगी.बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा,’ आज आंदोलनकारी किसानों के साथ अच्छी चर्चा हुई. हम किसी निर्णय तक तो नहीं पहुंच सके, लेकिन यह फैसला लिया गया कि दोनों पक्ष 8 जनवरी को फिर बातचीत की टेबल पर बैठेंगे. किसानों का सरकार पर पूरा विश्वास बना हुआ है. किसानों का कहना है कि सरकार ही इस विवाद का कोई हल ढूंढे. जब इस प्रकार के मामले होते हैं तो फैसला लेने से पहले कई दौर की चर्चा करनी पड़ती है.दिनभर चली बातचीत में किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर अड़े रहे. वहीं सरकार ने आपत्ति वाले बिंदुओं को निकालकर उनमें सुधार करने की बात कही. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक के दौरान किसानों से बार-बार अपील की कि वे इन सुधारों के लिए मान जाएं.किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘जब तक सरकार एमएसपी पर गारंटी और तीनों कानूनों को वापिस नहीं ले लेती, तब तक हम यहीं रहेंगे. चाहे सरकार कोई भी समिति गठित कर ले.’ वहीं भारतीय किसान सभा के नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा, ‘मानवीय दृष्टिकोण से सरकार को विचार करना चाहिए और किसानों की समस्या को सुलझाना चाहिए. सोनिया गांधी अपना ओपिनियन दे सकती हैं, लेकिन यह आंदोलन किसानों का है और यहां किसान ही जीतेगा.’कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान और केंद्र सरकार के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की बाचतीच हुई थी. लगभग पांच घंटे चली बैठक में बिजली दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर दंड को लेकर किसानों की चिंताओं को हल करने के लिए कुछ सहमति बनी, लेकिन दो बड़े मुद्दों पर गतिरोध बना रहा. किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी दी जाए और तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द किया जाए.किसानों और केंद्र के बीच 7वें दौर की बातचीत में सरकार बीच का रास्ता निकालने के लिए फॉर्मूला पेश कर सकती है. सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर लिखित भरोसा देने के विकल्प पर विचार कर रही है. इसके अलावा तीनों कानूनों को रद्द करने के मुद्दे पर सरकार समीक्षा के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव दे सकती है और इस कमेटी में किसान संगठनों को ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है.

Latest News