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चित्तरंजन प्रबंधन ने अजय नदी के सिधु कानू पुल को लोहे के पोल से बंद करने के बिरोध में उतरे स्थानीय

चित्तरंजन प्रबंधन ने अजय नदी के सिधु कानू पुल को लोहे के पोल से बंद करने के बिरोध में उतरे स्थानी

सालानपुर
पश्चिम बंगाल के सीमा पर बसा झारखंड से जोड़ने वाले अजय नदी पर बने सिधु-कानू पुल को रेल प्रबंधन के द्वारा बृहस्पतिवार को लोहे के पोल से बंद किये जाने के बिरोध में स्थानीय लोगो ने बिरोध प्रदर्शन किया जिसके बाद पुल को बन्द नही किया जा सका। अजय नदी पर बने सिधू कानू पुल जो झारखंड के विशाल क्षेत्रों को जोड़ता है । चित्तरंजन रेलवे प्रबंधन ने इस पुल पर लोहे के खंभे लगाकर बंगाल झारखंड के लोगो के यातायात को रोकने के लिए कदम उठा रहा है, वही ऑटो-टोटो की आवाजाही बंद करना चाहते है। लेकिन फिलहाल लोगो के बिरोध के बाद वे इस पहल से पीछे हट गए हैं और सोमवार, 9 सितंबर को सीएलडब्ल्यू के महाप्रबंधक के साथ शाम 4 बजे स्थानीय लोगो की बैठक होगी। आंदोलनकारियों की ओर से प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि सिधु कानू पुल से झारखंड के कई इलाकों के छात्र, मरीज, छोटे व्यापारी और आम लोग रोजाना आवाजाही करते हैं. चित्तरंजन क्षेत्र के कई लोग झारखंड सहित विभिन्न क्षेत्रों में जाने के लिए इस पुल को पार करते हैं। लेकिन उन्हें पता चला कि बीती रात रेलवे ने इस पुल पर लोहे का पोल लगाकर ऑटो-टोटो व अन्य वाहनों के आवागमन को रोकने की कोशिश की है. इसके बाद आज सुबह से स्थानीय लोगों ने वहां विरोध प्रदर्शन किया. उनके साथ माधव चंद्र महतो, सत्यानंद झा, ठाकुरमणि सिंह, अजय मंडल, दीपक मंडल, तापस मंडल, अलक मंडल, सत्यनारायण मंडल और कई अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए। आखिरकार आरपीएफ धरना स्थल पर पहुंची और उनसे प्रारंभिक बातचीत की. आंदोलनकारियों ने चित्तरंजन रेलवे अथॉरिटी से फोन पर संपर्क किया. हालांकि, प्रवीण बाबू ने कहा कि अगर चितरंजन महाप्रबंधक इस संबंध में सकारात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे, तो वे इस मामले को रेल मंत्री के समक्ष उठायेंगे. चितरंजन के उप महासचिव से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. जनसंपर्क पदाधिकारी चित्रसेन मंडल ने कहा कि इस मामले में उच्चाधिकारी ही कहेंगे कि उन्हें क्या कहना है.

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