हिन्द संबाद आसनसोल : दुर्गापूजा इस प्रदेश का सबसे बड़ा त्योहार है । इस त्योहार को लेकर लोगों का उत्साह देखते ही बनता है । बंगाल के कोने कोने में मां दुर्गा की पूजा होती है । लेकिन जैसे मां के विविध रुप हैं ठिक वैसे ही मां दुर्गा की पूजा में भी विविधता की भरमार है । ऐसी ही एक एक पूजा जमुड़िया में होती है । 350 साल से पुरानी पट की पूजा की जाती है । यहां बिचाली या मिट्टी के बजाय सिर्फ कपड़े पर रंगो से मा दुर्गा के विंध्यवासिनी रुप की पूजा होती है । इसी तरह पिछले 350 साल से भी ज्यादा समय से जामुड़िया के ईकरा गांव के मंदिर मे मां की पुजा होती आ रही है । पुजा को लेकर लोगों मै काफी उत्साह रहता है । आसपास के लोग भी आकर जुटते है । गुजरते वक्त के साथ इस पुजा कि रौनक में भले थोड़ी कमी आयी हो लेकिन अभी भी यह अनोखी परंपरा जारी है । आलोक चक्रवर्ती पिछले 32 साल से इस पारिवारिक पूजा में मा की तस्वीर बनाते आ रहे हैं । आलोक चक्रवर्ती ने कहा कि उनके पुर्वज बताते है कि दुर्गापुजा के समय विंध्य पर्वत से सालो पहले एक साधु आये थे । उन्होंने उनको अष्टधातु की मुर्ति देकर रोज दुर्गापुजा करने का आदेश दिया । साथ ही उस साधु ने मुर्ति के पीछे मा की एक तस्वीर रखने का भी आदेश दिया जिसे कभी भी विसर्जन नही दिया जाए । तभी से इस मंदिर का नाम विंध्यवासिनी मंदिर रखा गया । तभी से कपड़े पर मां दुर्गा की तस्वीर बनाकर पुजा की जा रही है । पहले अनिल सुत्रधर यह काम करते थे फिर सुकुमार चैटर्जी और अब आलोक चक्रवर्ती । इनका कहना है कि उनके बनाए चित्र से मां की पूजा की जाती है यह सोचकर ही उनको काफी अच्छा लगता है । उनकी इच्छा है कि मरते दम तक वह यह कार्य करतें रहें । उन्होंने बताया कि यह सिर्फ मां की कृपा है कि वह यह कार्य कर पा रहे हैं
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जमुड़िया में बिचाली या मिट्टी के बजाय सिर्फ कपड़े पर रंगो से मा दुर्गा के विंध्यवासिनी रुप की पूजा होती है
- HIND SAMBAD
- October 8, 2021
- 6:33 pm