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तृणमूल कांग्रेस और तृणमूल नेता वि शिवदासन दासु की विधानसभा चुनाव में कार्य

हिन्द संबाद आसनसोल इम्तियाज़ खान : सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में स्थित एक भारतीय राजनीतिक दल है।जिसका गठन 1 जनवरी 1998 को स्थापित किया गया मुख्य उद्देश्य था पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ताओ को सम्मान दिलाना , पार्टी का नेतृत्व इसके संस्थापक और पश्चिम बंगाल के मौजूदा मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी ने किया। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के रिजल्ट में तृणमूल कांग्रेस ने हैट्रिक बनाकर इतिहास रच दिया. इस शानदार उपलब्धि में तृणमूल कांग्रेस के तृणमूल कार्यकर्ताओ का महत्वपूर्ण योगदान है जो की 1914 के बिधान सभा के चुनाव में था जिसमे माकपा को सत्ता से बे दखल कर तृणमूल नेत्री ममता बनर्जी को सत्ता सौपना था पर इस बार भाजपा के जंबो अफवाह भरा प्रचार का सामना करते हुए ममता बनीर्जी सरकार को बरकरार रखना मुख्य उदेश था तृणमूल कार्यकर्ताओ का जिसमे तृणमूल कांग्रेस ममता बनर्जी के नेतृत्व में सफल हुई बड़े नेता तो अपने अपने बिधान सभा के चुनाव में ब्यस्थ थे और तृणमूल कांग्रेस के तृणमूल स्तर के कार्यकर्ता अपने नेत्री के लिए सब कुछ दाव पर लगा कर दीदी को जितवाना है बस एक ही लछ्य था जिसमे तृणमूल कार्यकर्ता सफल हुए और दीदी के नेतृत्व में राज्य में तृणमूल कांग्रेस सरकार की हैट्रिक लग गई और भाजपा का सपना, नारा बेकार हो गया जो था अबकी बार 200 पार जो पूरा नहीं हो सका और जम्बो प्रचार भी बेकार हो गया भाजपा का सपना मुंगेरी लाल का हसीन सपना बन कर रह गया इन सब के बिच एक ऐसे तृणमूल कांग्रेस के योद्धा का जिक्र नहीं किया जाय तो ये लेख बेकार हो जायेगा जिसका नाम है प्रदेश तृणमूल कांग्रेस के सचिव और आसनसोल के तृणमूल नेता वि शिवदासन दाशु जिन्हो ने खुद तो चुनाव नहीं लड़ा पार भाजपा से जबर्दश्त मुकाबला किया। चाहे प्रधान मंत्री हो गृह मंत्री भाजपा अध्यक्ष नड्डा या नरोत्तम मिश्रा ,फिर जीतेन्द्र तिवारी जो भी भाजपा नेता बंगाल बिधानसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस या दीदी पर कोई भी टिका टिपणी करते उसका फ़ौरन मुहतोड़ जवाब देते तृणमूल नेता दाशु पश्चिम बर्धमान के नवौ सीटों का जायज़ा लेना जहां भी कुछ कमजोरी हो उसको तुरंत दुरुस्त करना सही वक़्त पार सही फैसला लेना भाजपा के किसी भी हमले का मुँह तोड़ जवाब देना और उसका फल सामने है की पश्चिम बर्धमान से नौ सीट में से छह सीटों पार तृणमूल कांग्रेस की जित पक्की कर दी तीन सीट भाजपा के अफवाह का शिकार हुआ उश्मे भी तृणमूल नेता दाशु ने भरसक प्रयाश किया पर जनता वोटर भ्रम में पड़ चुके थे जैसे जीतेन्द्र तिवारी ने बिश्वनाथ पडियाल के बारे में अफवाह फैला दिया था की वो भी भाजपा में सामील होने के लिए उन्हें फोन किया अभी नहीं तो जित के बाद पडियाल भाजपा में सामील हो सकते है इस भ्रामक प्रचार को दाशु ने हर संभव प्रयाश किया की तिवारी का ये बयान झूठा है पर दुर्गापुर के वोटर पडियाल के इतिहास को देखते हुए उसे नकार दिया पडियाल पहले कांग्रेस फिर तृणमूल कांग्रेस दोबारा कोंग्रेश के टिकट पार भिधानसभा चुनाव जीता और कुछ दिन बाद कांग्रेस को अलबिदा कह कर फिर से तृणमूल को अपनाया इसी इतिहास को देखते हुए दुर्गापुर के वोटर तिवारी के भ्रम जाल में फस ग्रे और पडियाल का बिधानसभा जाने का राश्ता ही बंद कर दिया उसी तरह कुल्टी भी अपवाद है जहां की सीट पक्की मानी जा रही थी पर भाजपा के अफवाह में वोटर फस गए अब पछता रहे रही बात आसनसोल साऊथ की बात तो यहां भी अफवा का ही बोलबाला रहा और सायनी घोष को बाहरी करार दिया गया। पर तृणमूल नेता दाशु ने सायनी घोष के लिए जितना मेहनत की वो मेहनत रंग नहीं ला सकी वजह पूर्व के तृणमूल बिधायक तापस बनर्जी का एंटी इंकम्बेंसी काम किया और कुछ नेताओ की रूठना तापस बनर्जी बिधायक के साथ साथ अड्डा के चेयरमैन भी थे पर अपने बिधानसभा से कटे कटे रहते थे समश्याओ का अम्बार था राश्ता पानी की सम्मस्या ही मुख्य रूप से हाबी था तापस बनर्जी पहले जैसे लोगो में रहना पशन्द करते थे वो बात अब नहीं था अड्डा के दफ्तर में लोगो को घंटो बैठा कर मिले बगैर उठ कर चले जाना की मीटिंग या जरूरी काम से जाना है कल मिलेंगे फिर कल भी वही कहानी होती थी लोग हफ्तों महीनो अड्डा के दफ्तर का चक्कर काटते ये नकारत्मक रवैया हो गया था पर तापस बनर्जी पहले जैसे लोगो से मिलते जुलते थे वो बात अब नहीं थी इसी कारन सायनी और दासु की मेहनत रंग नहीं ला सकी लेकिन तृणमूल नेता वि शिवदासन दासु ने बाहरी अकर्मण का सामना बखूबी किया और सही जबाब भी दिया तृणमूल कांग्रेस के सच्चे कार्यकर्ता और दीदी ममता बनर्जी के बिश्वाश के पात्र है जिन्हे अगर नज़र अंदाज किया गया तो ममता बनर्जी की वो सोच जो 1 जनवरी 1998 को स्थापित किया गया को अंगूठा दिखाने जैसा हो जायेगा जो दीदी ने तृणमूल स्तर के कार्यकर्ताओ को सम्मान देने के लिए तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा से भीड़ जाना और अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केशरी से भी दुरी बना लेने वाली तत्कालीन प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने अपने पार्टी के तृणमूल स्तर के कार्यकर्ताओ को पार्टी में सम्मान दिलाने के उद्देश्य से ही तृणमूल कांग्रेस का गठन किया गया था ये मकशद था मुख्य मंत्री ममता बनर्जी का अब तृणमूल कांग्रेस नृतृत्व को ये ठीक करना है की तृणमूल स्तर के अशली तृणमूल नेता को सम्मान देना जो की आसनसोल के तृणमूल नेता वि शिवदासन दासु को ध्यान में रख कर निर्णय लेना है की उन्हें कैसे किस तरह का सम्मान देना चाहिए मेरा मानना है की पार्टी के ऐसे ही नेता तृणमूल कार्यकर्ता के लिये राज्यसभा में भेज कर सम्मान देना चाहिए तभी ममता बनर्जी का उद्देश्य पूरा होगा। देखना यह है की वि शिवदासन के प्रति पार्टी ये महत्वपूर्ण फैशला कबतक लेती है