हिन्द संबाद आसनसोल संबाददाता : आष्टा का पर्व छठ एक ऐसा पूजा है जिश्मे कोई पंडित नहीं होता , जिसमे देवता प्रत्यक्ष है जिसमे डूबता सूर्य को भी पूजते है और उगते सूर्यको भी पूजा किया जाता है इस पर्व में सिर्फ लोक गीत गए जाते है पकवान घर पर ही बनाये जाते है घंट में कोई उच्च नहीं कोई नीच नहीं सब , न अमीर नहीं न गरीब नहीं सब श्रद्धा से पूजा करते है यह नदियों की पवित्रता का पर्व है, सूर्य की दिव्यता का पर्व है, अर्घ्य में समर्पित खाद्यान्न की सात्विकता का पर्व है। प्रकृति में हमारी आस्था का पर्व है। छठ के गीतों से आसनसोल-दुर्गापुर शिल्पांचल के हर जगहों पर लोक गीत छठ के गीतों पूरा इलाका गूंज रहा है । चारो तरफ छठ का गीत सुनने को मिल रहा है। चौक-चौराहों से लेकर घरों तक में सिर्फ छठ मईया के गीत ही गूंज रहे है। नदी से लेकर तालाब तक घाटों को सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी है। सबसे अधिक ध्यान घाटों की सुरक्षा पर रखा गया है। कोरोना संकट के कारण इस वर्ष विशेष सतर्कता बरती जा रही है। आज शाम कुछ देर बाद ही छठघाट पर सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। छठ घाटों से लेकर सड़कों तक को रंगीन बल्बों से सज गया है। चारों ओर साफ-सफाई की गई है। आसनसोल नगर निगम इलाके में सभी घंटो पर सूर्य देवता को पहला अर्घ्य देने को तैयार है छठ वर्ती छठ पर्व को लेकर व्रती के घर ठेकुआ आदि प्रसाद की सामग्री बनाने का कार्य हो रहा है तो दूसरी ओर महिलाएं सामूहिक रूप से एक जगह जमा होकर छठ मैया की गीत गा रही है। विशेषकर हिंदी भाषी बहुल इलाकों की छंटा का क्या कहना। सड़कें चमचमा रही है, तो हर घर के आगे पूरी तरह से साफ-सफाई व रंगाई-पोताई कर सुंदर बना दिया गया है। सुबह से ही कहीं लोग घरों को पानी से धोकर साफ करते दिखे तो घर के युवा व बच्चे छठ घाटों को और भी सुंदर बनाने में जुटे रहे। न केवल हिंदी भाषी बल्कि दूसरे भाषा-भाषी लोग भी छठ पर्व को लेकर विशेष रूप से स्वच्छता बरत रहे है। घाटों को चमकाने में नगर निगम व पंचायत प्रशासन के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संस्थाएं व क्लबों, व्रतियों के परिजन, श्रद्धालु भी दिन-रात एक किए हुए है। आसनसोल में छठ घाटों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। आसनसोल के कल्ला प्रभु छठ घाट पर सी क्लब द्वारा समाजसेवी कृष्णा प्रसाद के नेतृत्व में बीते 44 सालों से छठ पूजा का आयोजन किया जाता रहा है । इस बार कृष्णा प्रसाद के नेतृत्व में छठ को ऐतिहासिक तौर पर मनाने की तैयारी की गई है। यह घाट अनुपम छटा बिखेर रहा है। उन्होंने आयोजन को ऐतिहासिक बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है । देवभूमि ऋषिकेश से र हजारों लीटर गंगा जल लाए हैं और छठव्रतियों में वितरित किया जाएगा। अपने स्तर से प्रभु छठ घाट का कायाकल्प किया है । यहां वाराणसी, ऋषिकेश और प्रयागरात की तर्ज पर गंगा आरती भी होगी। नदी के बीच में भगवान शंकर की आकर्षक झांकी बनाई गई है। घाट से पांच किलोमीटर के रास्ते पर लाइट के साथ साथ साउंड सिस्टम की भी व्यवस्था की गई है। छठ पूजा के अवसर पर मंत्रोच्चार और छठ माता के गीत साउंड सिस्टम पर सुनाए जाएंगे। छठ घाट पर गंगा जल, धूप, अगरबत्ती, माचिस, घी, कपुर, पान पत्ता ,सिंदुर, चाय ,पानी, खीर एक टन लड्डू प्रसाद के रुप में वितरित किया जाएगा । इसके साथ ही कंबल , साड़ी , गमछा , बुजुर्गों के लिए शाल भी अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने के बाद होने वाली आरती के बाद से ही दिए जाएंगे। तकरीबन 18 काउंटरों से यह सारी चीजें बांटी जाएंगी। इसके लिए सुबह से ही कूपन बांटे जाएंगे, जिससे छठव्रतियों को आसानी से यह सारी चीजें मिल सकें। उनका कहना है कि ऐसा नजारा इससे पहले कभी किसी भी छठ घाट पर देखा नहीं गया है । कृष्णा प्रसाद की कोशिशों से प्रभु छठ घाट का जो कायाकल्प हुआ है वह अकल्पनीय है । जिन्होंने भी इन दृश्यों को देखा है उनका कहना है कि यह नजारे देखने का अवसर जीवन में सिर्फ एक बार ही मिलता है । कृष्णा प्रसाद ने सभी श्रद्धालुओं से कल्ला प्रभु छठ घाट पर आने का अनुरोध किया ताकि वह इस अविश्वसनीय मनोरमयी छटा के साक्षी बन सकें । “सूर्य वंदना या छठ पूजा पर्यावरण संरक्षण रोग निवारण वह अनुशासन का पर्व है सामान्य रूप से लोग कुछ मांग कर लेने को हीन भाव समझते हैं लेकिन छठ पूजा में सुबह के अर्घ्य के बाद प्रसाद मांग कर खाने की एक विशेष परंपरा रही है। प्रसाद मांगने की इस परंपरा के पीछे यह मान्यता भी बताई जाती है कि इससे अहंकार नष्ट होता है। एक ऐसी भावना जो व्यक्ति की प्रगति की भावना में बाधक बन जाती है। भारत की इस महान परंपरा के प्रति हर किसी को गर्व होना स्वाभाविक है।” बमनडीहा, ब्रह्मचारी स्थान और नियामतपुर के सूर्य मंदिर को भी भब्य ढंग से सजाया गया है
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शिल्पांचल के सभी घाटों पर सूर्य देवता को पहला अर्घ्य देने को तैयार है छठ वर्ती
- HIND SAMBAD
- November 10, 2021
- 3:34 pm