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आखिर प्रिंट मीडिया पर ध्यान क्यों नहीं दे रही है सरकार बेचैन है न्यूजपेपर इंडस्ट्री

हिन्द संबाद आसनसोल संवाददाता । देश के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक दीपावली भी गुजर गईं लेकिन प्रिंट मीडिया की हालत पिछले दो-ढाईं सालों से ‘नौ दिन चले अढ़ाईं कोस’ जैसी ही है। प्रिंट मीडिया द्वारा बार-बार लगाईं गईं गुहार को भी सरकार ने अनसुना कर दिया। सरकार के इस रुख से बेचैन न्यूजपेपर इंडस्ट्री को अभी तक यह समझ नहीं आया है कि आखिर सरकार प्रिंट मीडिया से जुड़ी परेशानियों पर ध्यान क्यों नहीं दे रही है। प्रिंट मीडिया अभी तक सरकार के भरोसे था। उसे उम्मीद थी कि इस स्थिति से बाहर निकलने में सरकार उनकी मदद करेगी। लेकिन अब जबकि दो दीपावली प्रिंट मीडिया के लिए बिल्वुल फीकी साबित हो गईं हैं तो उसकी समझ में नहीं आ रहा कि वह लोग आगे क्या करें। पिछले दो सालों से कईं अखबार मालिक आर्थिक तंगी के बावजूद किसी न किसी तरह से अपने अखबार का प्राकाशन इस उम्मीद से किए जा रहे थे कि जल्दी ही स्थिति सामान्य हो जाएगी और हालात पहले जैसे हो जाएंगे कोरोनावायरस (कोविड-19) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू किए लॉकडाउन की वजह से देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। इसका प्रभाव मीडिया संस्थानों पर भी पड़ा है। कोरोना काल में कई मीडिया कंपनियों की आर्थिक स्थिति तो इस कदर बिगड़ गई कि उन्हें वित्तीय बोझ को कम करने के लिए अपने स्टाफ को छंटनी का नोटिस देना पड़ा, तमाम स्टाफ को अवैतनिक अवकाश (Leave without pay) पर भेजा गया अथवा उनकी सैलरी में कटौती की गई। अब एक बार फिर तमाम मीडिया कंपनियों ने इस तरह का कदम उठाया है। इस बार इस लिस्ट में ज्यादातर प्रिंट मीडिया संस्थान शामिल हैं। ।

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