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आदिवासी के अस्तित्व को बचाने के लिए हर साल 9 अगस्त को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाता है

हिन्द संबाद धनबाद संबाददाता : निरसा विधानसभा के अन्तर्गत कलियासोल प्रखंड में अध्यक्ष पप्पू मंडल व प्रखण्ड सचिव सुरेश सोरेन के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस जयपुर टोला साजन डीह में मनाया गया। इसमें मुख्य अतिथि कलियासोल प्रखण्ड चुनाव प्रभारी रतिलाल महतो एवं कलियासोल चुनाव प्रभारी संतोष कुशवाहा मौजूद थे। निरसा विधानसभा के अन्तर्गत कलियासोल प्रखंड में अध्यक्ष पप्पू मंडल व प्रखण्ड सचिव सुरेश सोरेन के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस जयपुर टोला साजन डीह में मनाया गया। इसमें मुख्य अतिथि कलियासोल प्रखण्ड चुनाव प्रभारी रतिलाल महतो एवं कलियासोल चुनाव प्रभारी संतोष कुशवाहा मौजूद थे। मांदर की थाप पर विश्व अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया गया। संतोष कुशवाहा ने कहा कि दुनियाभर में आज आदिवासियों की संख्या में गिरावट आती जा रही है। आदिवासी ही वे लोग है जिनसे हमें प्रकृति को बचाने की सीख मिलती है, कि किस प्रकार हमें अपनी प्रकृति माता को प्रेम करना चाहिए। आदिवासियों की घटती जनजाति को बढ़ाने के लिए और आदिवासी के अस्तित्व को बचाने के लिए हर साल 9 अगस्त को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाता है। आपको बता दें कि विभिन्न सरकारों और संगठनों द्वारा आदिवासियों के उत्थान के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। बता दें कि इस बार विश्व आदिवासी दिवस 2021 पर संयुक्त राष्ट् के आदिवासी दशक की थीम है “बचेगी भाषा तभी जीवित रहेगी संस्कृति”। इस आदिवासी दशक की घोषणा का मूल उद्देश्य सिर्फ भाषा के संरक्षण व संवर्धन पर केंद्रित है। रतिलाल महतो ने कहा के यह हमारे लिए भी काफी भयावह स्थिति है। जिस जनजाति से हमारी शुरुआत हुई, हम शुरूआत में कैसे अपना जीवन व्यापन करते थे, इन्सानो का क्या रहन सहन था, आज उनकी आबादी तेजी से घट कर सिर्फ 37 करोड़ रह गयी है। इसी के लिए दुनिया भर में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों की संस्कृति, भाषा और अस्तित्व को बचाने के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस को मनाया जाता है। बता दें कि आज भी आदिवासी समुदाय के लोग समाज की मुख्यधारा में शामिल नहीं हुए हैं, जिसके चलते ये आज भी काफी पिछड़े हुए हैं। मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदायों की तो हमारे प्रदेश की संस्कृति में इसकी आदिवासी संस्कृति भी बेहद अहम है। यहा करीब 46 आदिवासी जनजातियां इस वक्त मौजूद हैं और अपना जीवन यापन कर रही है

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